Wednesday, August 24, 2016

नन्हा सा सलोना कृष्ण, 
पैरों में पैंजनी और होठों पर बाँसुरी ,
मुँह पर माखन और प्यारी मुस्कान 
ओह , कितना प्यारा रूप है तेरा कान्हा !!
कैसे तू इतना नटखट हुआ ! 
कैसे पूतना को मार गिराया !
कैसे सब गोपियों को वश में किया !
कैसे अपनी उँगलियों पर गोवर्धन उठाया!
कैसे कंस का वध कर डाला!
कैसे द्रौपदी की लाज रखी !
कैसे गीता की रचना की !
कैसे तुमने इतने चमत्कार दिखाए !!
कैसे एक रूप में, इतने रूप समाये!!
तुम कर्मयोगी, तुम दार्शनिक ,
तुम साधारण में असाधारण ,
तुम ही प्राण, तुम ही आधार ,
कोटि नमन तुम्हें हे पूर्णावतार।
उषा छाबड़ा
२४. ८. १६

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